ऋग्वेद (मंडल 10)
पि॒तु॒भृतो॒ न तन्तु॒मित्सु॒दान॑वः॒ प्रति॑ दध्मो॒ यजा॑मसि ॥ (३)
अन्न के स्वामियों के समान शोभन दान वाले हम धागों के समान इस यज्ञ का विस्तार करते हैं एवं उस यज्ञ से उषा की पूजा करते हैं. (३)
We extend this yajna like threads and worship Usha with that yajna. (3)