हरि ॐ

ऋग्वेद (Rigved)

ऋग्वेद 10.20.6

मंडल 10 → सूक्त 20 → श्लोक 6 - संस्कृत मंत्र, हिंदी अर्थ और English translation

ऋग्वेद (मंडल 10)

ऋग्वेद: | सूक्त: 20
स हि क्षेमो॑ ह॒विर्य॒ज्ञः श्रु॒ष्टीद॑स्य गा॒तुरे॑ति । अ॒ग्निं दे॒वा वाशी॑मन्तम् ॥ (६)
वे ही अग्नि सबके पालन के कारण हैं, वे ही हव्य एवं यज्ञ हैं. अग्नि देवों को बुलाने के लिए शीघ्र जाते हैं. देवगण स्तुतिवचन से युक्त अग्नि के पास आते हैं. (६)
They are the reason for the observance of agni, they are the havya and yajna. They go quickly to call the agni gods. Devas come to the agni with praise. (6)