हरि ॐ

ऋग्वेद (Rigved)

ऋग्वेद 10.37.3

मंडल 10 → सूक्त 37 → श्लोक 3 - संस्कृत मंत्र, हिंदी अर्थ और English translation

ऋग्वेद (मंडल 10)

ऋग्वेद: | सूक्त: 37
न ते॒ अदे॑वः प्र॒दिवो॒ नि वा॑सते॒ यदे॑त॒शेभिः॑ पत॒रै र॑थ॒र्यसि॑ । प्रा॒चीन॑म॒न्यदनु॑ वर्तते॒ रज॒ उद॒न्येन॒ ज्योति॑षा यासि सूर्य ॥ (३)
हे सूर्य देव! जब तुम अपने गतिशाली घोड़ों को रथ में जोड़ने की इच्छा करते हो, तब कोई भी प्राचीन राक्षस तुम्हारे समीप नहीं रहता. तुम्हारी वह प्रसिद्ध ज्योति जल के पीछे चलती है, जिसके साथ तुम उदित होते हो. (३)
O Sun God! When you wish to add your moving horses to the chariot, no ancient demons stay near you. The famous light of yours runs behind the water with which you rise. (3)