हरि ॐ

ऋग्वेद (Rigved)

ऋग्वेद 10.46.7

मंडल 10 → सूक्त 46 → श्लोक 7 - संस्कृत मंत्र, हिंदी अर्थ और English translation

ऋग्वेद (मंडल 10)

ऋग्वेद: | सूक्त: 46
अ॒स्याजरा॑सो द॒माम॒रित्रा॑ अ॒र्चद्धू॑मासो अ॒ग्नयः॑ पाव॒काः । श्वि॒ती॒चयः॑ श्वा॒त्रासो॑ भुर॒ण्यवो॑ वन॒र्षदो॑ वा॒यवो॒ न सोमाः॑ ॥ (७)
इस यजमान के पास जरारहित, शत्रुओं पर शासन करने वाली, पूजा के योग्य ज्वालाओं से युक्त, शुद्ध करने वाली श्वेतवर्ण, शीघ्रगति वाली, प्रजाओं का भरण करने वाली, वन में रहने वाली एवं सोम के समान गतिशील अग्नियां हैं. (७)
This host has agnis that are unstoppable, ruling over enemies, with flames worthy of worship, purifying white, fast-paced, filling the people, living in the forest and moving like Som. (7)