ऋग्वेद (मंडल 10)
त ऊ॒ षु णो॑ म॒हो य॑जत्रा भू॒त दे॑वास ऊ॒तये॑ स॒जोषाः॑ । ये वाजा॒ँ अन॑यता वि॒यन्तो॒ ये स्था नि॑चे॒तारो॒ अमू॑राः ॥ (२७)
हे यज्ञ के अधिकारी देवो! तुम हमारी महती रक्षा के लिए संगत बनो. हे अंगिरागोत्रीय ऋषियो! यज्ञ के लिए विविध प्रकार से प्रयत्न करते हुए तुम मेरे लिए अन्न लाओ. तुम इस समय मोहरहित होकर गाय प्राप्त करो. (२७)
O god of yajna! You be compatible to our great defense. O Angiragotrian sages! You bring me food while trying in various ways for the yajna. You get the cow without infatuation at this time. (27)