हरि ॐ

ऋग्वेद (Rigved)

ऋग्वेद 10.62.6

मंडल 10 → सूक्त 62 → श्लोक 6 - संस्कृत मंत्र, हिंदी अर्थ और English translation

ऋग्वेद (मंडल 10)

ऋग्वेद: | सूक्त: 62
ये अ॒ग्नेः परि॑ जज्ञि॒रे विरू॑पासो दि॒वस्परि॑ । नव॑ग्वो॒ नु दश॑ग्वो॒ अङ्गि॑रस्तमो॒ सचा॑ दे॒वेषु॑ मंहते ॥ (६)
विविधरूप वाले जो अंगिरा द्युलोक से अग्नि के चारों ओर उत्पन्न हुए हैं, उन्होंने नौ अथवा दस मास तक यज्ञ करके गाय रूप धन प्राप्त किया है. अंगिराओं में सर्वश्रेष्ठ अग्नि देवों के साथ हमें धन देते हैं. (६)
The people of diverse forms who have originated from Angira Duloka around the agni have obtained the wealth of the cow by performing yajna for nine or ten months. The best agni in the Angiras give us wealth with the gods. (6)