हरि ॐ

ऋग्वेद (Rigved)

ऋग्वेद 10.64.6

मंडल 10 → सूक्त 64 → श्लोक 6 - संस्कृत मंत्र, हिंदी अर्थ और English translation

ऋग्वेद (मंडल 10)

ऋग्वेद: | सूक्त: 64
ते नो॒ अर्व॑न्तो हवन॒श्रुतो॒ हवं॒ विश्वे॑ श‍ृण्वन्तु वा॒जिनो॑ मि॒तद्र॑वः । स॒ह॒स्र॒सा मे॒धसा॑ताविव॒ त्मना॑ म॒हो ये धनं॑ समि॒थेषु॑ जभ्रि॒रे ॥ (६)
इंद्र के वे प्रसिद्ध घोड़े हमारा आह्वान सुनें जो सबकी पुकार सुनते हैं, मार्ग पर सधे हुए चरण रखते हैं, यज्ञ के समय हजारों की संख्या में धन देते हैं एवं युद्ध के समय शत्रुओं से स्वयं ही महान्‌ धन ले आते हैं. (६)
Listen to our call to those famous horses of Indra who hear the call of all, keep the steps on the path, give thousands of money at the time of yajna and bring great wealth from the enemies themselves in the time of war. (6)