हरि ॐ

ऋग्वेद (Rigved)

ऋग्वेद 10.67.4

मंडल 10 → सूक्त 67 → श्लोक 4 - संस्कृत मंत्र, हिंदी अर्थ और English translation

ऋग्वेद (मंडल 10)

ऋग्वेद: | सूक्त: 67
अ॒वो द्वाभ्यां॑ प॒र एक॑या॒ गा गुहा॒ तिष्ठ॑न्ती॒रनृ॑तस्य॒ सेतौ॑ । बृह॒स्पति॒स्तम॑सि॒ ज्योति॑रि॒च्छन्नुदु॒स्रा आक॒र्वि हि ति॒स्र आवः॑ ॥ (४)
उस अंधकारपूर्ण गुफा में स्थित गायों को नीचे एक एवं ऊपर दो द्वारों की सहायता से छिपाया गया था. बृहस्पति ने अंधकार में प्रकाश ले जाने की इच्छा करते हुए तीनों द्वारों को खोला और गायों को बाहर निकाल दिया. (४)
The cows in that dark cave were hidden with the help of one and two gates above. Jupiter, wishing to carry light in the darkness, opened the three gates and drove the cows out. (4)