ऋग्वेद (मंडल 10)
उदी॒र्ष्वातो॑ विश्वावसो॒ नम॑सेळा महे त्वा । अ॒न्यामि॑च्छ प्रफ॒र्व्यं१॒॑ सं जा॒यां पत्या॑ सृज ॥ (२२)
हे विश्वावसु! यहां से उठो. मैं नमस्कारपूर्वक तुम्हारी पूजा करता हूं. विशाल नितंबों वाली अन्य कन्या को चाहो एवं उसे पत्नी बनाकर स्वयं से मिलाओ. (२२)
O Vishwavasu! Get up from here. I salute you. Want another girl with huge buttocks and make her a wife and meet yourself. (22)