हरि ॐ

ऋग्वेद (Rigved)

ऋग्वेद 10.85.9

मंडल 10 → सूक्त 85 → श्लोक 9 - संस्कृत मंत्र, हिंदी अर्थ और English translation

ऋग्वेद (मंडल 10)

ऋग्वेद: | सूक्त: 85
सोमो॑ वधू॒युर॑भवद॒श्विना॑स्तामु॒भा व॒रा । सू॒र्यां यत्पत्ये॒ शंस॑न्तीं॒ मन॑सा सवि॒ताद॑दात् ॥ (९)
सूर्या ने जब पति की कामना की और सविता ने मन से अपनी कन्या सोम को दी थी, उस समय सोम वधू की कामना करने वाले वर थे. अश्विनीकुमार ही सूर्या के वर बने. (९)
When Surya wished for her husband and Savita had given her daughter to Som with all her heart, som was the bridegroom who wished for the bride at that time. Ashwinikumar became Surya's bridegroom. (9)