ऋग्वेद (मंडल 10)
यत्रा॒ वदे॑ते॒ अव॑रः॒ पर॑श्च यज्ञ॒न्योः॑ कत॒रो नौ॒ वि वे॑द । आ शे॑कु॒रित्स॑ध॒मादं॒ सखा॑यो॒ नक्ष॑न्त य॒ज्ञं क इ॒दं वि वो॑चत् ॥ (१७)
जिस समय पार्थिव अग्नि और वायु परस्पर विवाद करते हैं कि हम यज्ञकर्म के नेताओं में यज्ञ को कौन अधिक जानता है, उस समय मित्र ऋत्विज् यज्ञ करते हैं. वे यह निर्णय नहीं कर पाते कि कौन ठीक है? (१७)
At the time when the earthly agni and the air dispute amongst us as to who among the leaders of the yajnakarma knows the yajna better, at that time the friends perform the ritwij yajna. They can't decide who's right. (17)