ऋग्वेद (मंडल 10)
ओष॑धी॒रिति॑ मातर॒स्तद्वो॑ देवी॒रुप॑ ब्रुवे । स॒नेय॒मश्वं॒ गां वास॑ आ॒त्मानं॒ तव॑ पूरुष ॥ (४)
हे माता के समान दिव्य ओषधियो! मैं तुम्हारे संबंधी वैद्य से इस प्रकार कहता हूं-“हे चिकित्सक! मैं तुम्हें घोड़ा, गाय, वस्त्र एवं स्वयं को दे सकता हूं.” (४)
O divine medicines like mother! I say to your relative's physician like this: "O doctor! I can give you a horse, a cow, a garment and myself." (4)