हरि ॐ

ऋग्वेद (Rigved)

ऋग्वेद 2.28.3

मंडल 2 → सूक्त 28 → श्लोक 3 - संस्कृत मंत्र, हिंदी अर्थ और English translation

ऋग्वेद (मंडल 2)

ऋग्वेद: | सूक्त: 28
तव॑ स्याम पुरु॒वीर॑स्य॒ शर्म॑न्नुरु॒शंस॑स्य वरुण प्रणेतः । यू॒यं नः॑ पुत्रा अदितेरदब्धा अ॒भि क्ष॑मध्वं॒ युज्या॑य देवाः ॥ (३)
हे विश्वनायक, अनेक वीरों से युक्त एवं बहुत से लोगों द्वारा स्तुत्य वरुण! हम तुम्हारे गृह में निवास करें. हे शत्रुओं द्वारा अहिंसित अदितिपुत्रो! अपना मित्र बनाते समय हमारे सभी अपराधों को क्षमा कर देना. (३)
O Vishwanayak, Varuna with many heroes and praised by many people! We stay in your home. O Aditiputras, who are non-violent by enemies! Forgive all our sins when making your friend. (3)