ऋग्वेद (मंडल 2)
माहं म॒घोनो॑ वरुण प्रि॒यस्य॑ भूरि॒दाव्न॒ आ वि॑दं॒ शून॑मा॒पेः । मा रा॒यो रा॑जन्सु॒यमा॒दव॑ स्थां बृ॒हद्व॑देम वि॒दथे॑ सु॒वीराः॑ ॥ (७)
हे राजा वरुण! मुझे किसी धनी एवं दानी पुरुष के सामने अपनी निर्धनता न कहनी पड़े. मेरे पास जीवन के लिए आवश्यक धन की कमी न हो. हम शोभन पुत्र-पौत्र प्राप्त करके इस यज्ञ में बहुत सी स्तुतियां करेंगे. (७)
O King Varuna! I don't have to say my poverty in front of a rich and charitable man. I don't lack the money I need for life. We will receive shobhan's son-grandson and do many praises in this yajna. (7)