हरि ॐ

ऋग्वेद (Rigved)

ऋग्वेद (मंडल 2)

ऋग्वेद: | सूक्त: 32
अ॒स्य मे॑ द्यावापृथिवी ऋताय॒तो भू॒तम॑वि॒त्री वच॑सः॒ सिषा॑सतः । ययो॒रायुः॑ प्रत॒रं ते इ॒दं पु॒र उप॑स्तुते वसू॒युर्वां॑ म॒हो द॑धे ॥ (१)
हे द्यावापृथ्वी! यज्ञ करने के इच्छुक एवं तुम्हें प्रसन्न करने के लिए प्रयत्नशील मुझ स्तोता की रक्षा करो. सबकी अपेक्षा उत्कृष्ट अन्न वाले एवं अनेक लोगों द्वारा प्रशंसित तुम्हारी स्तुति मैं अन्नप्राप्ति की अभिलाषा से विशाल स्तोत्रों द्वारा करूंगा. (१)
This is the first one! Protect my hymn willing to perform yajna and strive to please you. I will praise you with great food and admired by many people through huge hymns with the desire for food. (1)

ऋग्वेद (मंडल 2)

ऋग्वेद: | सूक्त: 32
मा नो॒ गुह्या॒ रिप॑ आ॒योरह॑न्दभ॒न्मा न॑ आ॒भ्यो री॑रधो दु॒च्छुना॑भ्यः । मा नो॒ वि यौः॑ स॒ख्या वि॒द्धि तस्य॑ नः सुम्नाय॒ता मन॑सा॒ तत्त्वे॑महे ॥ (२)
हे इंद्र! शन्रुजनों की गुप्त माया हमें रात में अथवा दिन में कभी भी नष्ट न करे. हमें दुःख देने वाली शत्रु सेनाओं के वश में मत होने देना. हमारी मित्रता अपने मन से अलग मत करना. हम तुमसे यही कामना करते हैं कि अपने मन में हमारा सुख चाहते हुए हमारी मित्रता को याद रखना. (२)
O Indra! Let the secret maya of the Gentlemen never destroy us at night or by day. Don't let us fall into the hands of enemy armies that hurt us. Don't separate our friendship from your mind. We wish you to remember our friendship by wanting our happiness in your heart. (2)

ऋग्वेद (मंडल 2)

ऋग्वेद: | सूक्त: 32
अहे॑ळता॒ मन॑सा श्रु॒ष्टिमा व॑ह॒ दुहा॑नां धे॒नुं पि॒प्युषी॑मस॒श्चत॑म् । पद्या॑भिरा॒शुं वच॑सा च वा॒जिनं॒ त्वां हि॑नोमि पुरुहूत वि॒श्वहा॑ ॥ (३)
हे इंद्र! क्रोधरहित मन से सुखकारी, दुधारू, मोटी एवं दृढ़ांग गाय लेकर आना. हे बहुजनों द्वारा बुलाए गए शीघ्रगामी एवं जल्दी-जल्दी बोलने वाले इंद्र! मैं प्रतिदिन तुम्हारी स्तुति करता हूं. (३)
O Indra! To bring a happy, milch, thick and hard cow with an angry mind. O Indra, who speaks quickly and quickly, called by the Bahujans! I praise you every day. (3)

ऋग्वेद (मंडल 2)

ऋग्वेद: | सूक्त: 32
रा॒काम॒हं सु॒हवां॑ सुष्टु॒ती हु॑वे श‍ृ॒णोतु॑ नः सु॒भगा॒ बोध॑तु॒ त्मना॑ । सीव्य॒त्वपः॑ सू॒च्याच्छि॑द्यमानया॒ ददा॑तु वी॒रं श॒तदा॑यमु॒क्थ्य॑म् ॥ (४)
मैं उत्तम स्तुतियों द्वारा आह्वान के योग्य राका देवी को बुलाता हूं. वह सुभगा हमारी पुकार सुनें एवं हमारा अभिप्राय स्वयं जान लें. वह छेदरहित सूई से हमारे कर्मो को बुनती हुई हमें वीर एवं बहुदानदाता पुत्र दें. (४)
I call upon Raka Devi worthy of being invoked by the best of praises. Let that good listen to our call and know our meaning for yourself. She weaves our deeds with a holeless needle and gives us a brave and multi-donor son. (4)

ऋग्वेद (मंडल 2)

ऋग्वेद: | सूक्त: 32
यास्ते॑ राके सुम॒तयः॑ सु॒पेश॑सो॒ याभि॒र्ददा॑सि दा॒शुषे॒ वसू॑नि । ताभि॑र्नो अ॒द्य सु॒मना॑ उ॒पाग॑हि सहस्रपो॒षं सु॑भगे॒ ररा॑णा ॥ (५)
हे राका देवी! तुम्हारी जो शोभन रूप वाली उत्तम बुद्धियां हैं एवं जिनके द्वारा तुम यजमान को धन देती हो, आज प्रसन्नचित्त होकर उसी बुद्धि के साथ पधारो. हे सुभगा राका! बुम हजारों प्रकार से हमारा पोषण करती हो. (५)
O Raka Devi! The best of your intellects in the form of adornment and by which you give wealth to the host, come today with the same wisdom in a happy way. Oh, subhaga raka! Bum nourishes us in thousands of ways. (5)

ऋग्वेद (मंडल 2)

ऋग्वेद: | सूक्त: 32
सिनी॑वालि॒ पृथु॑ष्टुके॒ या दे॒वाना॒मसि॒ स्वसा॑ । जु॒षस्व॑ ह॒व्यमाहु॑तं प्र॒जां दे॑वि दिदिड्ढि नः ॥ (६)
हे मोटी जंघाओं वाली सिनीवाली! तुम देवों की बहिन हो. हमारा दिया हुआ हव्य स्वीकार करो एवं संतान दो. (६)
O the siniwali with thick thighs! You are the sister of the gods. Accept our promise and give us children. (6)

ऋग्वेद (मंडल 2)

ऋग्वेद: | सूक्त: 32
या सु॑बा॒हुः स्व॑ङ्गु॒रिः सु॒षूमा॑ बहु॒सूव॑री । तस्यै॑ वि॒श्पत्न्यै॑ ह॒विः सि॑नीवा॒ल्यै जु॑होतन ॥ (७)
जो सिनीवाली सुंदर बाहुओं एवं सुंदर उंगलियों वाली, शोभन पुत्रों वाली तथा अनेक की जन्मदात्री है, उसी विश्वरक्षिका देवी के उद्देश्य से हव्य प्रदान करो. (७)
The one who has beautiful sleeves and beautiful fingers, has beautiful sons and is the birth-giver of many, who is the mother of many, give the same devotion to the purpose of the goddess of the world. (7)

ऋग्वेद (मंडल 2)

ऋग्वेद: | सूक्त: 32
या गु॒ङ्गूर्या सि॑नीवा॒ली या रा॒का या सर॑स्वती । इ॒न्द्रा॒णीम॑ह्व ऊ॒तये॑ वरुणा॒नीं स्व॒स्तये॑ ॥ (८)
मैं अपनी रक्षा एवं सुख के लिए कई सिनीवाली, राका, सरस्वती, इंद्राणी और वरुणानी को बुलाता हूं. (८)
I call many Sinivali, Raka, Saraswati, Indrani and Varunani for my protection and happiness. (8)