हरि ॐ

ऋग्वेद (Rigved)

ऋग्वेद 3.37.5

मंडल 3 → सूक्त 37 → श्लोक 5 - संस्कृत मंत्र, हिंदी अर्थ और English translation

ऋग्वेद (मंडल 3)

ऋग्वेद: | सूक्त: 37
इन्द्रं॑ वृ॒त्राय॒ हन्त॑वे पुरुहू॒तमुप॑ ब्रुवे । भरे॑षु॒ वाज॑सातये ॥ (५)
युद्ध में धनलाभ एवं वृत्र असुर का नाश करने के निमित्त हम बहुतों द्वारा बुलाए गए इंद्र को बुलाते हैं. (५)
In order to destroy the wealth and the vrithra asura in the war, we call indra, who has been called by many. (5)