हरि ॐ

ऋग्वेद (Rigved)

ऋग्वेद 3.62.18

मंडल 3 → सूक्त 62 → श्लोक 18 - संस्कृत मंत्र, हिंदी अर्थ और English translation

ऋग्वेद (मंडल 3)

ऋग्वेद: | सूक्त: 62
गृ॒णा॒ना ज॒मद॑ग्निना॒ योना॑वृ॒तस्य॑ सीदतम् । पा॒तं सोम॑मृतावृधा ॥ (१८)
हे मित्र व वरुण! तुम जमदग्नि ऋषि द्वारा स्तुत होकर यज्ञ में बैठो. यज्ञकर्म का फल बढ़ाने वाले तुम दोनों सोम पिओ. (१८)
Oh my friend and Varun! You sit in the yajna, praised by the sage Jamadagni. Drink both of you som who increase the fruits of the yajnakarma. (18)