हरि ॐ

ऋग्वेद (Rigved)

ऋग्वेद 4.16.17

मंडल 4 → सूक्त 16 → श्लोक 17 - संस्कृत मंत्र, हिंदी अर्थ और English translation

ऋग्वेद (मंडल 4)

ऋग्वेद: | सूक्त: 16
ति॒ग्मा यद॒न्तर॒शनिः॒ पता॑ति॒ कस्मि॑ञ्चिच्छूर मुहु॒के जना॑नाम् । घो॒रा यद॑र्य॒ समृ॑ति॒र्भवा॒त्यध॑ स्मा नस्त॒न्वो॑ बोधि गो॒पाः ॥ (१७)
हे शूर इंद्र! मनुष्यों के किसी युद्ध में यदि हमारे मध्य तेज वज्र गिरे अथवा हे स्वामी! हमारा शत्रुओं के साथ भयानक युद्ध हो रहा हो, उस समय तुम हमारे शरीर के रक्षक बनना. (१७)
O Shur Indra! In a war of men, if a thunderbolt falls between us, or O Lord! We are having terrible wars with our enemies, at that time you become the protectors of our bodies. (17)