हरि ॐ

ऋग्वेद (Rigved)

ऋग्वेद 4.23.1

मंडल 4 → सूक्त 23 → श्लोक 1 - संस्कृत मंत्र, हिंदी अर्थ और English translation

ऋग्वेद (मंडल 4)

ऋग्वेद: | सूक्त: 23
क॒था म॒हाम॑वृध॒त्कस्य॒ होतु॑र्य॒ज्ञं जु॑षा॒णो अ॒भि सोम॒मूधः॑ । पिब॑न्नुशा॒नो जु॒षमा॑णो॒ अन्धो॑ वव॒क्ष ऋ॒ष्वः शु॑च॒ते धना॑य ॥ (१)
हमारी स्तुति इंद्र को किस प्रकार बढ़ावे? इंद्र प्रसन्न होकर किस होता के यज्ञ में जावें? महान्‌ इंद्र सोमरस पीते हुए एवं हव्यरूप अन्न की अभिलाषा करते हुए किस यजमान को देने के लिए उज्ज्वल स्वर्ण आदि धारण करते हैं? (१)
How do we increase our praise to Indra? What would Indra be pleased to go to the yagna? The great Indra, while drinking somras and craving for food, wears bright gold etc. to give to which host? (1)