हरि ॐ

ऋग्वेद (Rigved)

ऋग्वेद 4.27.1

मंडल 4 → सूक्त 27 → श्लोक 1 - संस्कृत मंत्र, हिंदी अर्थ और English translation

ऋग्वेद (मंडल 4)

ऋग्वेद: | सूक्त: 27
गर्भे॒ नु सन्नन्वे॑षामवेदम॒हं दे॒वानां॒ जनि॑मानि॒ विश्वा॑ । श॒तं मा॒ पुर॒ आय॑सीररक्ष॒न्नध॑ श्ये॒नो ज॒वसा॒ निर॑दीयम् ॥ (१)
मैंने गर्भ में रहते हुए ही इंद्रादि देवों के सभी जन्मों को जाना था. इससे पहले सैकड़ों लौह शरीरों ने हमारी रक्षा की थी एवं हमें श्येन पक्षी के समान आत्मा के रूप में शरीर से निकाला था. (१)
I had known all the births of the Indradi Devas while I was in the womb. Earlier, hundreds of iron bodies had protected us and exhumed us from the body as a soul like a lion bird. (1)