हरि ॐ

ऋग्वेद (Rigved)

ऋग्वेद 4.30.12

मंडल 4 → सूक्त 30 → श्लोक 12 - संस्कृत मंत्र, हिंदी अर्थ और English translation

ऋग्वेद (मंडल 4)

ऋग्वेद: | सूक्त: 30
उ॒त सिन्धुं॑ विबा॒ल्यं॑ वितस्था॒नामधि॒ क्षमि॑ । परि॑ ष्ठा इन्द्र मा॒यया॑ ॥ (१२)
हे इंद्र! तुमने अपने बुद्धिबल से जलपूर्ण एवं स्थित नदियों को धरती के ऊपर सभी जगह स्थापित किया. (१२)
O Indra! With your wisdom, you have established the water-filled and situated rivers everywhere above the earth. (12)