हरि ॐ

ऋग्वेद (Rigved)

ऋग्वेद 4.42.8

मंडल 4 → सूक्त 42 → श्लोक 8 - संस्कृत मंत्र, हिंदी अर्थ और English translation

ऋग्वेद (मंडल 4)

ऋग्वेद: | सूक्त: 42
अ॒स्माक॒मत्र॑ पि॒तर॒स्त आ॑सन्स॒प्त ऋष॑यो दौर्ग॒हे ब॒ध्यमा॑ने । त आय॑जन्त त्र॒सद॑स्युमस्या॒ इन्द्रं॒ न वृ॑त्र॒तुर॑मर्धदे॒वम् ॥ (८)
दुर्गह के पुत्र पुरुकुत्स जब कैद कर लिए गए तो सप्तऋषि हमारे इस राज्य के पालनकर्ता बने थे. उन्होंने पुरुकुत्स की पत्नी के कल्याण के लिए यज्ञ करके त्रसदस्यु को पाया था. वह इंद्र के समान शन्रुनाशक एवं आधा देव था. (८)
When Purukuts, the son of Durgah, was imprisoned, the Saptarishis became the followers of this kingdom of ours. He had found The Trasadsyu by performing a yagna for the welfare of Purukuts' wife. He was as much a destroyer and half-god as Indra. (8)