हरि ॐ

ऋग्वेद (Rigved)

ऋग्वेद 4.52.7

मंडल 4 → सूक्त 52 → श्लोक 7 - संस्कृत मंत्र, हिंदी अर्थ और English translation

ऋग्वेद (मंडल 4)

ऋग्वेद: | सूक्त: 52
आ द्यां त॑नोषि र॒श्मिभि॒रान्तरि॑क्षमु॒रु प्रि॒यम् । उषः॑ शु॒क्रेण॑ शो॒चिषा॑ ॥ (७)
हे उषा! तुम दीप्त आकाश से युक्त होकर किरणों द्वारा स्वर्ग एवं प्रिय अंतरिक्ष को व्याप्त करो. (७)
Oh, Usha! You must permeate heaven and beloved space by the rays of the bright sky. (7)