हरि ॐ

ऋग्वेद (Rigved)

ऋग्वेद 5.67.1

मंडल 5 → सूक्त 67 → श्लोक 1 - संस्कृत मंत्र, हिंदी अर्थ और English translation

ऋग्वेद (मंडल 5)

ऋग्वेद: | सूक्त: 67
बळि॒त्था दे॑व निष्कृ॒तमादि॑त्या यज॒तं बृ॒हत् । वरु॑ण॒ मित्रार्य॑म॒न्वर्षि॑ष्ठं क्ष॒त्रमा॑शाथे ॥ (१)
हे अदितिपुत्र मित्र, वरुण एवं अर्यमा देव! तुम वास्तविक रूप में वर्तमान, यज्ञ के लिए हितकारक, विस्तृत एवं विशाल बल धारण करते हो. (१)
O aditiputra friend, Varun and Aryama Dev! You actually possess the present, beneficial for the yagna, the expansive and vast force. (1)