हरि ॐ

ऋग्वेद (Rigved)

ऋग्वेद 6.45.29

मंडल 6 → सूक्त 45 → श्लोक 29 - संस्कृत मंत्र, हिंदी अर्थ और English translation

ऋग्वेद (मंडल 6)

ऋग्वेद: | सूक्त: 45
पु॒रू॒तमं॑ पुरू॒णां स्तो॑तॄ॒णां विवा॑चि । वाजे॑भिर्वाजय॒ताम् ॥ (२९)
हे अनेक शत्रुओं के नाशक इंद्र! विविध स्तुतियों वाले यज्ञ में हम स्तोताओं की स्तुतियां हव्यान्नों द्वारा तुम्हें बलवान्‌ बनावे. (२९)
O Indra, the destroyer of many enemies! In a yajna with various hymns, let us make you strong by the praises of the psalms. (29)