ऋग्वेद (मंडल 6)
ब्र॒ह्माणं॒ ब्रह्म॑वाहसं गी॒र्भिः सखा॑यमृ॒ग्मिय॑म् । गां न दो॒हसे॑ हुवे ॥ (७)
मैं गाय के समान अभिलाषारूप दूध दुहुने के लिए इंद्र को स्तुतियों द्वारा बुलाता हूं. इंद्र महान्, स्तुतियां स्वीकार करने वाले एवं मित्र हैं. (७)
I call Indra with praises to milk milk as a cow's desire. Indra is great, acceptable of praises and a friend. (7)