हरि ॐ

ऋग्वेद (Rigved)

ऋग्वेद (मंडल 6)

ऋग्वेद: | सूक्त: 46
त्वामिद्धि हवा॑महे सा॒ता वाज॑स्य का॒रवः॑ । त्वां वृ॒त्रेष्वि॑न्द्र॒ सत्प॑तिं॒ नर॒स्त्वां काष्ठा॒स्वर्व॑तः ॥ (१)
हे इंद्र! हम स्तोता अन्न प्राप्ति के कारण तुम्हें बुलाते हैं. अन्य लोग तुझ सज्जन पालक को घोड़ों वाले संग्राम में विजय पाने के लिए बुलाते है. (१)
O Indra! We call you because of the sourdough food. Others call upon you to conquer the battle of horses. (1)

ऋग्वेद (मंडल 6)

ऋग्वेद: | सूक्त: 46
स त्वं न॑श्चित्र वज्रहस्त धृष्णु॒या म॒हः स्त॑वा॒नो अ॑द्रिवः । गामश्वं॑ र॒थ्य॑मिन्द्र॒ सं कि॑र स॒त्रा वाजं॒ न जि॒ग्युषे॑ ॥ (२)
हे विचित्र, हाथ में वज्र धारण करने वाले, वज्र के स्वामी, शत्रुनाशक एवं महान्‌ इंद्र! युद्ध में शत्रुओं को जीतने वाले को तुम जिस प्रकार बहुत सा अन्न देते हो, उसी प्रकार तुम हमारी स्तुतियों से प्रसन्न होकर हमें गाएं व रथ खींचने में कुशल घोड़े दो. (२)
O you who are strange, those who hold the thunderbolt in their hands, the masters of the vajra, the enemy and the great Indra! Just as you give a lot of food to the conqueror of the enemies in battle, so you should sing to us by being pleased with our praises and give us horses skilled in pulling chariots. (2)

ऋग्वेद (मंडल 6)

ऋग्वेद: | सूक्त: 46
यः स॑त्रा॒हा विच॑र्षणि॒रिन्द्रं॒ तं हू॑महे व॒यम् । सह॑स्रमुष्क॒ तुवि॑नृम्ण॒ सत्प॑ते॒ भवा॑ स॒मत्सु॑ नो वृ॒धे ॥ (३)
जो इंद्र प्रबल शत्रुओं को मारने वाले एवं सबको देखने वाले हैं, उन्हें हम बुलाते हैं. हे हजार रूपों (लिंगों) वाले, बहुधनसंपन्न एवं सज्जन पालक इंद्र! युद्धों में तुम हमें समृद्ध बनाओ. (३)
We call Indra, who kills strong enemies and sees everyone. O Indra, the multi-rich and gentle guardian of a thousand forms (lingas)! In wars you make us prosperous. (3)

ऋग्वेद (मंडल 6)

ऋग्वेद: | सूक्त: 46
बाध॑से॒ जना॑न्वृष॒भेव॑ म॒न्युना॒ घृषौ॑ मी॒ळ्ह ऋ॑चीषम । अ॒स्माकं॑ बोध्यवि॒ता म॑हाध॒ने त॒नूष्व॒प्सु सूर्ये॑ ॥ (४)
हे ऋचाओं के अनुकूल रूप वाले इंद्र! तुम शत्रुबाधक युद्ध में बैल के समान क्रोध में भरकर हमारे शत्रुओं को पीड़ित करो. धन-निमित्तक महायुद्ध में तुम हमारे रक्षक बनो. हम संतान, जल एवं सूर्यदर्शन प्राप्त करें. (४)
O Indra, who is friendly to the riches! You suffer our enemies by filling them with bull-like anger in a war that is anti-enemy. Be our protector in the world war for money. Let us get children, water and sunshine. (4)

ऋग्वेद (मंडल 6)

ऋग्वेद: | सूक्त: 46
इन्द्र॒ ज्येष्ठं॑ न॒ आ भ॑र॒ँ ओजि॑ष्ठं॒ पपु॑रि॒ श्रवः॑ । येने॒मे चि॑त्र वज्रहस्त॒ रोद॑सी॒ ओभे सु॑शिप्र॒ प्राः ॥ (५)
हे विचित्र, हाथ में वज्र धारण करने वाले एवं सुंदर ठोड़ी वाले इंद्र! जिस अन्न के द्वारा तुम स्वर्ग एवं धरती का पोषण करते हो, हमें वही अधिक प्रशंसनीय, परम बलकारक एवं पुष्टिकारक अन्न दो. (५)
O you strange, Indra with a thunderbolt in his hand and with a beautiful chin! The food by which you nourish heaven and earth, give us the more admirable, most powerful and confirmatory food. (5)

ऋग्वेद (मंडल 6)

ऋग्वेद: | सूक्त: 46
त्वामु॒ग्रमव॑से चर्षणी॒सहं॒ राज॑न्दे॒वेषु॑ हूमहे । विश्वा॒ सु नो॑ विथु॒रा पि॑ब्द॒ना व॑सो॒ऽमित्रा॑न्सु॒षहा॑न्कृधि ॥ (६)
हे तेजस्वी, देवों में सर्वाधिक उग्र एवं शत्रुओं को हराने वाले इंद्र! हम अपनी रक्षा के निमित्त तुम्हें बुलाते हैं. हे निवासस्थान देने वाले इंद्र! तुम सब राक्षसों को दूर भगाओ एवं हमारे शत्रुओं को सरलता से हराने योग्य बनाओ. (६)
O you radiant, Indra, the most furious of the gods and the one who defeats the enemies! We call you to protect ourselves. O Indra, who gives the abode! Drive away all the demons and make our enemies easily defeatable. (6)

ऋग्वेद (मंडल 6)

ऋग्वेद: | सूक्त: 46
यदि॑न्द्र॒ नाहु॑षी॒ष्वाँ ओजो॑ नृ॒म्णं च॑ कृ॒ष्टिषु॑ । यद्वा॒ पञ्च॑ क्षिती॒नां द्यु॒म्नमा भ॑र स॒त्रा विश्वा॑नि॒ पौंस्या॑ ॥ (७)
हे इंद्र! मानव प्रजाओं में जो बल एवं धन है अथवा पांच वर्णों में जो अन्न है, वह सब महान्‌ शक्तियों के साथ हमें दो. (७)
O Indra! Give us all the strength and wealth that is there in human beings, or the grain that is in the five varnas, with great powers. (7)

ऋग्वेद (मंडल 6)

ऋग्वेद: | सूक्त: 46
यद्वा॑ तृ॒क्षौ म॑घवन्द्रु॒ह्यावा जने॒ यत्पू॒रौ कच्च॒ वृष्ण्य॑म् । अ॒स्मभ्यं॒ तद्रि॑रीहि॒ सं नृ॒षाह्ये॒ऽमित्रा॑न्पृ॒त्सु तु॒र्वणे॑ ॥ (८)
हे धनस्वामी इंद्र! तुम हमें तृक्षु,द्रह्मु एवं पुरु नामक राजाओं का समस्त बल दो. इस प्रकार हम युद्ध आरंभ होने पर शत्रुओं को जीत सकेंगे. (८)
O Dhanaswami Indra! You give us all the strength of the kings named Trikhu, Drhumu and Puru. In this way, we will be able to conquer the enemies when the war starts. (8)
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