हरि ॐ

ऋग्वेद (Rigved)

ऋग्वेद 6.47.19

मंडल 6 → सूक्त 47 → श्लोक 19 - संस्कृत मंत्र, हिंदी अर्थ और English translation

ऋग्वेद (मंडल 6)

ऋग्वेद: | सूक्त: 47
यु॒जा॒नो ह॒रिता॒ रथे॒ भूरि॒ त्वष्टे॒ह रा॑जति । को वि॒श्वाहा॑ द्विष॒तः पक्ष॑ आसत उ॒तासी॑नेषु सू॒रिषु॑ ॥ (१९)
इंद्र अपने रथ में घोड़े जोड़े हुए तीनों लोकों में अनेक जगह शोभा पाते हैं. इंद्र के अतिरिक्त ऐसा कौन है जो स्तोताओं के बीच जाकर इनके शत्रुओं के पास खड़ा रह सके. (१९)
Indra, adding horses to his chariot, adorns many places in the three lokas. Who is there other than Indra who can go among the stoetas and stand near their enemies? (19)