ऋग्वेद (मंडल 6)
मा॒तुर्दि॑धि॒षुम॑ब्रवं॒ स्वसु॑र्जा॒रः शृ॑णोतु नः । भ्रातेन्द्र॑स्य॒ सखा॒ मम॑ ॥ (५)
हम मातारूप रात्रि के पति पूषा की स्तुति करते हैं. वे अपनी बहिन उषा के प्रेमी सूर्य से हमारी स्तुति सुनें. इंद्र के भाई पूषा हमारे मित्र हों. (५)
We praise Pooja, the husband of Matarupa Raat. They hear our praise from their sister Usha's lover Surya. Indra's brother Pusha be our friend. (5)