ऋग्वेद (मंडल 6)
इन्द्रा॑ग्नी॒ तप॑न्ति मा॒घा अ॒र्यो अरा॑तयः । अप॒ द्वेषां॒स्या कृ॑तं युयु॒तं सूर्या॒दधि॑ ॥ (८)
हे इंद्र एवं अग्नि! वार करने को तैयार एवं आक्रमणकारी शत्रुसेना हमें दुःखी कर रही है. उन्हें तुम दूर भगाओ एवं सूर्य का दर्शन भी मत करने दो. (८)
O Indra and Agni! The enemy army, which is ready to strike and is hurting us. Drive them away and don't let them see the sun. (8)