ऋग्वेद (मंडल 6)
इन्द्रा॑ग्नी यु॒वामि॒मे॒३॒॑ऽभि स्तोमा॑ अनूषत । पिब॑तं शम्भुवा सु॒तम् ॥ (७)
हे इंद्र एवं अग्नि! ये स्तोता तुम्हारी प्रशंसा करते हैं. हे सुख देने वाले इंद्र एवं अग्नि! इस सोमरस को पिओ. (७)
O Indra and Agni! These hymns praise you. O Indra and Agni, who give happiness! Drink this somras. (7)