ऋग्वेद (मंडल 6)
सर॑स्वत्य॒भि नो॑ नेषि॒ वस्यो॒ माप॑ स्फरीः॒ पय॑सा॒ मा न॒ आ ध॑क् । जु॒षस्व॑ नः स॒ख्या वे॒श्या॑ च॒ मा त्वत्क्षेत्रा॒ण्यर॑णानि गन्म ॥ (१४)
हे सरस्वती! हमें प्रसिद्ध धन के पास ले चलो. हमारी अवनति मत करो. हमें जलद्वारा पीड़ा न पहुंचाओ. हमारे मैत्रीकार्यों और प्रवेशों को स्वीकार करो. हम तुम्हारे पास से वनों अथवा बुरे स्थानों में न जावें. (१४)
O Saraswati! Let's take us to famous riches. Don't demote us. Don't cause us pain by water. Accept our friendly deeds and admissions. Let us not go from you to the forests or to the bad places. (14)