हरि ॐ

ऋग्वेद (Rigved)

ऋग्वेद 6.71.5

मंडल 6 → सूक्त 71 → श्लोक 5 - संस्कृत मंत्र, हिंदी अर्थ और English translation

ऋग्वेद (मंडल 6)

ऋग्वेद: | सूक्त: 71
उदू॑ अयाँ उपव॒क्तेव॑ बा॒हू हि॑र॒ण्यया॑ सवि॒ता सु॒प्रती॑का । दि॒वो रोहां॑स्यरुहत्पृथि॒व्या अरी॑रमत्प॒तय॒त्कच्चि॒दभ्व॑म् ॥ (५)
सविता व्याख्यानदाता के समान अपने स्वर्णमय एवं शोभन अवयवों वाले हाथों को उठावें. वे धरती से आकाश के स्थानों में पहुंचें एवं सभी गतिशील वस्तुओं को आनंद दें. (५)
Savita should raise her golden and soothing hands like a lecturer. They reach the places of the sky from the earth and give joy to all the moving objects. (5)