ऋग्वेद (मंडल 7)
इन्द्रं॑ नो अग्ने॒ वसु॑भिः स॒जोषा॑ रु॒द्रं रु॒द्रेभि॒रा व॑हा बृ॒हन्त॑म् । आ॒दि॒त्येभि॒रदि॑तिं वि॒श्वज॑न्यां॒ बृह॒स्पति॒मृक्व॑भिर्वि॒श्ववा॑रम् ॥ (४)
हे अग्नि! तुम वसुओं के साथ मिलकर इंद्र को एवं रुद्रों के साथ मिलकर महारुद्र को हमारे कल्याण के निमित्त बुलाओ. तुम आदित्यों के साथ मिलकर सबका हित चाहने वाली अदिति को तथा स्तुतियोग्य अंगिरा देवों के साथ मिलकर सबके प्रिय बृहस्पति को बुलाओ. (४)
O agni! You, together with the Vasus, call Indra and along with rudras, the Maharudra for our welfare. Together with the Adityas, you invite aditi, who wants everyone's benefit, and the praiseworthy Angira devas, along with everyone's beloved Jupiter. (4)