हरि ॐ

ऋग्वेद (Rigved)

ऋग्वेद 7.104.11

मंडल 7 → सूक्त 104 → श्लोक 11 - संस्कृत मंत्र, हिंदी अर्थ और English translation

ऋग्वेद (मंडल 7)

ऋग्वेद: | सूक्त: 104
प॒रः सो अ॑स्तु त॒न्वा॒३॒॑ तना॑ च ति॒स्रः पृ॑थि॒वीर॒धो अ॑स्तु॒ विश्वाः॑ । प्रति॑ शुष्यतु॒ यशो॑ अस्य देवा॒ यो नो॒ दिवा॒ दिप्स॑ति॒ यश्च॒ नक्त॑म् ॥ (११)
राक्षस शरीर एवं संतान दोनों से हीन हो. वह तीनों लोकों के नीचे चला जाए. हे देवो! जो राक्षस हमें रात-दिन मारना चाहता है, उसका यश सूख जाए. (११)
The monster is inferior to both the body and the offspring. He should go under the three realms. Oh, God! May the demon who wants to kill us day and night wither his glory. (11)