हरि ॐ

ऋग्वेद (Rigved)

ऋग्वेद 7.16.5

मंडल 7 → सूक्त 16 → श्लोक 5 - संस्कृत मंत्र, हिंदी अर्थ और English translation

ऋग्वेद (मंडल 7)

ऋग्वेद: | सूक्त: 16
त्वम॑ग्ने गृ॒हप॑ति॒स्त्वं होता॑ नो अध्व॒रे । त्वं पोता॑ विश्ववार॒ प्रचे॑ता॒ यक्षि॒ वेषि॑ च॒ वार्य॑म् ॥ (५)
हे सर्वप्रिय अग्नि! तुम हमारे यज्ञ में गृहपति हो. तुम ही होता, पोता और विशिष्ट ज्ञान वाले हो. तुम उत्तम हव्य का यजन एवं भक्षण करो. (५)
O beloved agni! You are the housekeeper in our yajna. You would be the only one, the grandson and the one with specific knowledge. You should eat and eat the best of the good. (5)