हरि ॐ

ऋग्वेद (Rigved)

ऋग्वेद 7.17.3

मंडल 7 → सूक्त 17 → श्लोक 3 - संस्कृत मंत्र, हिंदी अर्थ और English translation

ऋग्वेद (मंडल 7)

ऋग्वेद: | सूक्त: 17
अग्ने॑ वी॒हि ह॒विषा॒ यक्षि॑ दे॒वान्स्व॑ध्व॒रा कृ॑णुहि जातवेदः ॥ (३)
हे जातवेद अग्नि! तुम देवों के सामने जाओ, हवि द्वारा देवों का यज्ञ करो और उन्हें शोभनयज्ञ वाला बनाओ. (३)
O Jativeda Agni! You go before the gods, perform the yajna of the gods by the havi and make them the adornment. (3)