हरि ॐ

ऋग्वेद (Rigved)

ऋग्वेद 7.31.12

मंडल 7 → सूक्त 31 → श्लोक 12 - संस्कृत मंत्र, हिंदी अर्थ और English translation

ऋग्वेद (मंडल 7)

ऋग्वेद: | सूक्त: 31
इन्द्रं॒ वाणी॒रनु॑त्तमन्युमे॒व स॒त्रा राजा॑नं दधिरे॒ सह॑ध्यै । हर्य॑श्वाय बर्हया॒ समा॒पीन् ॥ (१२)
हे स्तोता! सब प्रकार से विश्व के स्वामी एवं बाधाहीन क्रोध वाले इंद्र की स्तुतियां शत्रुओं को पराजित करने के लिए की जाती हैं. तुम इंद्र की स्तुति के लिए बंधुओं को प्रेरित करो. (१२)
This is the hymn! In every way, indra, the lord of the world and with unimpeded anger, is praised to defeat the enemies. You inspire the brothers to praise Indra. (12)