हरि ॐ

ऋग्वेद (Rigved)

ऋग्वेद 7.44.3

मंडल 7 → सूक्त 44 → श्लोक 3 - संस्कृत मंत्र, हिंदी अर्थ और English translation

ऋग्वेद (मंडल 7)

ऋग्वेद: | सूक्त: 44
द॒धि॒क्रावा॑णं बुबुधा॒नो अ॒ग्निमुप॑ ब्रुव उ॒षसं॒ सूर्यं॒ गाम् । ब्र॒ध्नं मा॑ँश्च॒तोर्वरु॑णस्य ब॒भ्रुं ते विश्वा॒स्मद्दु॑रि॒ता या॑वयन्तु ॥ (३)
दधिक्रा देव को जगाता हुआ मैं अग्नि, उषा, सूर्य एवं भूमि की स्तुति करता हूं. मैं अभिमानियों को नष्ट करने वाले वरुण के महान्‌ एवं पीले रंग के घोड़े की स्तुति करता हूं. वे हमसे सभी पाप दूर करें. (३)
While awakening The Dadhidra Dev, I praise agni, usha, sun and land. I praise Varuna's great and yellow horse that destroyed the haughty. They take away all sin sins from us. (3)