ऋग्वेद (मंडल 8)
आ ते॑ सिञ्चामि कु॒क्ष्योरनु॒ गात्रा॒ वि धा॑वतु । गृ॒भा॒य जि॒ह्वया॒ मधु॑ ॥ (५)
हे इंद्र! तुम्हारी दोनों कोखों को मैं सोमरस से पूर्ण करता हूं. सोमरस तुम्हारे शरीर के सभी भोगों को व्याप्त करे. तुम जीभ द्वारा मधुर सोमरस स्वीकार करो. (५)
O Indra! I complete both your wombs with somras. May the somras permeate all the indulgences of your body. You accept the sweet somras by tongue. (5)