हरि ॐ

ऋग्वेद (Rigved)

ऋग्वेद 8.19.29

मंडल 8 → सूक्त 19 → श्लोक 29 - संस्कृत मंत्र, हिंदी अर्थ और English translation

ऋग्वेद (मंडल 8)

ऋग्वेद: | सूक्त: 19
तव॒ क्रत्वा॑ सनेयं॒ तव॑ रा॒तिभि॒रग्ने॒ तव॒ प्रश॑स्तिभिः । त्वामिदा॑हुः॒ प्रम॑तिं वसो॒ ममाग्ने॒ हर्ष॑स्व॒ दात॑वे ॥ (२९)
हे अग्नि! तुम्हारी परिचर्यारूपी कर्म द्वारा मैं तुम्हारी सेवा करूंगा. तुम्हें हव्य देकर एवं तुम्हारी प्रशंसा करके मैं तुम्हारी सेवा करूंगा. हे वासदाता अग्नि! ब्रहमवादी तुम्हें मेरा उत्तमबुद्धिरक्षक कहते हैं. हे अग्नि! दान के लिए प्रसन्न बनो. (२९)
O agni! I will serve you by your care deeds. I will serve you by giving you a greeting and praising you. O godly agni! The Brahmists call you my best-wise protector. O agni! Be pleased for charity. (29)