ऋग्वेद (मंडल 8)
यमा॑दित्यासो अद्रुहः पा॒रं नय॑थ॒ मर्त्य॑म् । म॒घोनां॒ विश्वे॑षां सुदानवः ॥ (३४)
हे द्रोहरहित एवं शोभन-दान वाले आदित्यो! सभी हव्यधारी मानवों के प्रति जिसे तुम प्रारंभ किए कर्म के अंत तक पहुंचाते हो, वह फल पाता है. (३४)
O you who are unholy and domineering adityas! To all human beings, which you bring to the end of the work you have begun, he gets the fruit. (34)