हरि ॐ

ऋग्वेद (Rigved)

ऋग्वेद 8.31.14

मंडल 8 → सूक्त 31 → श्लोक 14 - संस्कृत मंत्र, हिंदी अर्थ और English translation

ऋग्वेद (मंडल 8)

ऋग्वेद: | सूक्त: 31
अ॒ग्निं वः॑ पू॒र्व्यं गि॒रा दे॒वमी॑ळे॒ वसू॑नाम् । स॒प॒र्यन्तः॑ पुरुप्रि॒यं मि॒त्रं न क्षे॑त्र॒साध॑सम् ॥ (१४)
हे देवो! मैं तुम्हारे अग्रवर्ती अग्नि देव की स्तुति धनप्राप्ति के लिए करता हूं. तुम्हारे सबसे श्रेष्ठ आशीष बहुतों के प्रिय मित्र के समान क्षेत्रसाधक होते हैं. (१४)
Oh, God! I praise your forerunner Agni Dev for the sake of wealth. Your greatest blessings are the same field bearers as the dear friend of many. (14)