ऋग्वेद (मंडल 8)
आ नो॑ या॒ह्युप॑श्रुत्यु॒क्थेषु॑ रणया इ॒ह । दि॒वो अ॒मुष्य॒ शास॑तो॒ दिवं॑ य॒य दि॑वावसो ॥ (११)
हे इंद्र! उकथ मंत्रों के पाठ के समय तुम इस यज्ञ के समीप आओ एवं हमें प्रसन्न करो. (११)
O Indra! At the time of reciting ukath mantras, you come near this yajna and please us. (11)