ऋग्वेद (मंडल 8)
क्ष॒त्रं जि॑न्वतमु॒त जि॑न्वतं॒ नॄन्ह॒तं रक्षां॑सि॒ सेध॑त॒ममी॑वाः । स॒जोष॑सा उ॒षसा॒ सूर्ये॑ण च॒ सोमं॑ सुन्व॒तो अ॑श्विना ॥ (१७)
हे अश्विनीकुमारो! तुम क्षत्रियों एवं योद्धाओं को जीतो, राक्षसों को मारो तथा रोगों को वश में करो. तुम उषा और सूर्य के साथ मिलकर यजमान का सोमरस पिओ. (१७)
Oh Ashwinikumaro! You conquer the Kshatriyas and warriors, kill the demons and tame diseases. You drink the host's somrus along with Usha and Surya. (17)