हरि ॐ

ऋग्वेद (Rigved)

ऋग्वेद 8.35.9

मंडल 8 → सूक्त 35 → श्लोक 9 - संस्कृत मंत्र, हिंदी अर्थ और English translation

ऋग्वेद (मंडल 8)

ऋग्वेद: | सूक्त: 35
श्ये॒नावि॑व पतथो ह॒व्यदा॑तये॒ सोमं॑ सु॒तं म॑हि॒षेवाव॑ गच्छथः । स॒जोष॑सा उ॒षसा॒ सूर्ये॑ण च॒ त्रिर्व॒र्तिर्या॑तमश्विना ॥ (९)
हे अश्विनीकुमारो! तुम यजमान के निचोड़े हुए सोमरस की ओर बाज के समान तेजी से आओ. जिस प्रकार भैंसा पानी की ओर आता है, उसी प्रकार तुम सोम की ओर आओ. तुम उषा एवं सूर्य के साथ मिलकर तीनों सवनों में आओ. (९)
O Ashwinikumaro! You come as fast as the hawk toward the squeezed somras of the host. Just as the buffalo comes towards the water, so you come to the mon. You come together with Usha and Surya in all the three sawans. (9)