ऋग्वेद (मंडल 8)
ऊ॒र्जा दे॒वाँ अव॒स्योज॑सा॒ त्वां पिबा॒ सोमं॒ मदा॑य॒ कं श॑तक्रतो । यं ते॑ भा॒गमधा॑रय॒न्विश्वाः॑ सेहा॒नः पृत॑ना उ॒रु ज्रयः॒ सम॑प्सु॒जिन्म॒रुत्वा॑ँ इन्द्र सत्पते ॥ (३)
हे इंद्र! तुम हव्य अन्न द्वारा देवों की तथा बल द्वारा अपनी रक्षा करते हो. हे सज्जनपालक तथा बहुकर्म वाले इंद्र! देवों द्वारा सोमरस के अपने निश्चित भागों को तुम समस्त शत्रुओं एवं वेगों को पराजित करके तथा जल के बीच विजयी बनकर पिओ. (३)
O Indra! You protect the gods by good food and by force. O gentleman and multi-worked Indra! Drink certain parts of somras by the gods by defeating all the enemies and the velocities and victorious among the waters. (3)