ऋग्वेद (मंडल 8)
उ॒त त्वा॑ग्ने॒ मम॒ स्तुतो॑ वा॒श्राय॑ प्रति॒हर्य॑ते । गो॒ष्ठं गाव॑ इवाशत ॥ (१७)
हे अग्नि! मेरी स्तुतियां तुम्हारे पास उसी प्रकार जा रही हैं, जिस प्रकार उत्सुक गाएं रंभाती हुई गोशाला में बछड़ों के पास जाती हैं. (१७)
O agni! My praises go to you in the same way that eager cows go to calves in the goshala. (17)