हरि ॐ

ऋग्वेद (Rigved)

ऋग्वेद 8.43.21

मंडल 8 → सूक्त 43 → श्लोक 21 - संस्कृत मंत्र, हिंदी अर्थ और English translation

ऋग्वेद (मंडल 8)

ऋग्वेद: | सूक्त: 43
पु॒रु॒त्रा हि स॒दृङ्ङसि॒ विशो॒ विश्वा॒ अनु॑ प्र॒भुः । स॒मत्सु॑ त्वा हवामहे ॥ (२१)
हे अग्नि! क्योंकि तुम प्रभु एवं बहुत से प्रदेशों में सभी प्रजाओं को समान रूप से देखने वाले हो, इसलिए हम तुम्हें युद्धों में बुलाते हैं. (२१)
O agni! Because you are going to see the Lord and all the people equally in many lands, we call you into wars. (21)