ऋग्वेद (मंडल 8)
त॒रणिं॑ वो॒ जना॑नां त्र॒दं वाज॑स्य॒ गोम॑तः । स॒मा॒नमु॒ प्र शं॑सिषम् ॥ (२८)
हे स्तोताओ! तुम्हारे पुत्र-पौत्रादि के तारक, शत्रुनाशक, गायों से युक्त अन्न देने वाले एवं सबके प्रति समान इंद्र की मैं स्तुति करता हूं. (२८)
This stotao! I praise Indra, as your son and grandson's tarak, the enemy destroyer, the giver of food containing cows, and to all. (28)